शान्तनु कुमार
★ मंत्री बदल गए लेकिन नहीं बदली व्यवस्था
★ जेईयों के आक्रोश का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा
★ अधिकारी गुटबाजी का ले रहे मजा
★ कई जेई के पास इतना काम कि वह नहीं कर पा रहा कामों की मॉनिटरिंग
योगी सरकार पार्ट 2 में भले ही पीडब्ल्यूडी मंत्री बदल गए हो मगर व्यवस्था अभी भी पुराने तौर तरीके से ही चल रहा है । पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से पीडब्ल्यूडी विभाग में भ्रष्टाचार के साथ कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है ऐसे में यह माना जा रहा है कि यह आक्रोश कभी भी बड़ा विस्फोटक रूप ले सकता है और तब विभाग ही नहीं सरकार की भी किरकिरी होना तय है । क्योंकि जिस तरीके से प्रांतीय खंड में तैनात जेईयों में कार्य बंटवारे को लेकर असंतोष बढ़ रहा है, उसे इस बात से समझा जा सकता है कि जेईयों ने मुख्यमंत्री समेत एक्सईएन को भी पत्र लिखकर पहले से अवगत करा चुके हैं। और यह न तो विभाग के लिए अच्छा है और ना सरकार के लिए ।
सूत्रों की माने तो इस खंड में कुल 26 अवर अभियंता व एक तकनीकी अवर अभियंता कार्यरत है जिसमें से 16 अवर अभियंता ऐसे हैं जिनको खंड में कोई कार्यभार नहीं दिया गया या दिया गया तो बहुत कम । इसी प्रकार प्रांतीय खंड में ऐसे अवर अभियंता है जो लंबे समय से यहां जमे हुए हैं । बताया जाता है कि लंबे समय से तैनात अवर अभियंताओं की मनमानी के चलते यह असंतोष बढ़ा है और उनकी दखलंदाजी के कारण किसी के पास इतने काम है कि वह सभी कामों को सही ढंग से देख नहीं पाते और किसी के पास कोई काम नहीं है या फिर है भी तो बिल्कुल नाम मात्र के ।
सूत्रों की माने तो यही असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है और अधिकारियों द्वारा किये जा रहे नजरअंदाज कभी भी भारी पड़ सकता है । सूत्रों की माने तो अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं ताकि आपस की खींचातानी से उनका खुद का भला हो सके ।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस खंड में तैनात कुल 26 अवर अभियंताओं में से टॉप 10 की बात करें तो पहले नम्बर से दस नम्बर तक जेईयों को क्रमशः इतने का काम दिया गया… 1083.41 लाख, 561.77 लाख, 538.07 लाख, 533.96 लाख, 521.13 लाख, 492.11 लाख, 478.55 लाख, 367.61 लाख, 300.42 लाख, 289.07 लाख ।
कुल मिलाकर पीडब्ल्यूडी विभाग के हर खण्ड में अमूमन यही स्थिति है । क्योंकि ऐसे तो पीडब्ल्यूडी विभाग में 4 खण्ड हैं और हर खण्ड का एरिया निर्धारित है लेकिन पिछले कुछ सालों में कोई भी खण्ड नियम को ताख पर रखकर कहीं भी काम कर रहा है । फिलहाल अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन जेईयों के भीतर पनप रहे आक्रोश को कैसे खत्म करता है ।