सुप्रभात खबर
शान्तनु कुमार
एक महीने के भीतर दो तेंदुए की मौत ने वन विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ा दी है ।
सबसे पहली घटना 28 जनवरी को म्योरपुर के जंगल में शिकारियों के जाल में फंसकर तेंदुए की मौत हो गयी जबकि दूसरी घटना कल 15 फरवरी को घटी, जब एक तेंदुआ अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया और उसकी घटना स्थल पर मौत हो गयी । यहां भी वन विभाग को पहले कोई जानकारी नहीं थी कि क्षेत्र में तेंदुआ है । यानी अब वह विभाग की वनों पर पकड़ कम होती जा रही है । वनों से बेशकीमती पेड़ों की कटान हो जाती है लेकिन विभाग को पता तक नहीं चल पाता । देखा जाय तो जहां एक तरफ सरकार हर साल वृक्षारोपण कर रिकार्ड बना रही है वहीं वन माफिया हर साल जंगल साफ करने का रिकार्ड बना रहे हैं ।
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि हर डिवीजन के अधिकारी तेंदुए को लेकर हमेशा यह कहते रहे हैं कि यहां तेंदुआ नहीं है और न ही उनके पैरों के छाप देखे गए । लेकिन दो घटनाओं ने वन विभाग के दावे व सुरक्षा की पोल खोलकर रख दी । अब जब घटनाएं घट रही हैं तब भी वन विभाग के अधिकारी उन दलील दी रहे हैं कि भटक कर चले आये होंगे । ऐसे में एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि यदि भटक कर आए तब भी वन विभाग को जानकारी क्यों नहीं हुई ।
कुल मिलाकर जब जंगल बचेगा तभी पशु-पक्षी बचेंगे । और ऐसे में वन विभाग के हर कर्मचारी भव अधिकारी को ईमानदार होना पड़ेगा । वरना एक समय ऐसा आएगा जब न वन रहेंगे और न जंगली जानवर ।