रमेश ( संवाददाता )

दुद्धी। तहसील मुख्यालय के पांच वर्ष पुराने चर्चित निमियाडीह देव स्थान व कब्रिस्तान भूमि विवाद मसले पर न्यायालय उप जिलाधिकारी दुद्धी शैलेन्द्र मिश्रा की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए, मामले का हमेशा हमेशा के लिए पटाक्षेप कर दिया।
प्रश्नगत मामले में वर्ष 2018 में निमियाडीह निवासी उदय कुमार व अन्य ने धारा 38(2) उ.प्र.रा.संहिता 2006 के अंतर्गत उपजिलाधिकारी दुद्धी की अदालत में कागजात दुरुस्ती का मुकदमा दाखिल किया था। जिसकी करीब पांच वर्षों तक चली लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधिकारी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा की अदालत ने सोमवार को अपना आदेश खुले न्यायालय में सुनाया। आदेश में कहा गया है कि प्रश्नगत मामले में अभिलेखीय साक्ष्यों एवं स्थलीय निरीक्षण के उपरांत पाया गया कि 1361 फसली तक सा.नम्बर 184 रकबा 1-11-10 (एक बीघा ग्यारह बिस्वा व दस धुर) कब्रिस्तान खाते में दर्ज थी।विवेचना से स्पष्ट है कि 1362 फसली में कुटरचना कर इसे कुल 9 गाटा में 0.8350 हेक्टेयर कर दिया गया। जिससे कि गांव की प्रिय आवाम में वैमनष्यता फैले और विवाद हो।

अदालत ने इन सभी बिंदुओं को दृष्टिगत रखते हुए उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्यों एवं राजस्व निरीक्षक व क्षेत्रीय लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर विपक्षी की आपत्ति दिनांक 16.11.2022 को आधारहीन, बलहीन व पोषणीय न होने के कारण निरस्त कर दिया तथा वर्तमान खाता खतौनी फसली 1428 से 1433 के खाता संख्या 00191 के आराजी नम्बर 963ख/0.3150 हे०,918/0.0600 हे०,1064मि/0.0232 हे० विद्यालय भवन से दक्षिण तरफ कुल 3 गाटा रकबा 0.3982 हे० कब्रिस्तान में दर्ज किया जाता है जो पूर्व में भी एक बीघा ग्यारह बिस्वा दस धूर था। इसके अलावा आ.न. 1063ख/0.1000 हे०,1064मि/0.1768 हे०,1065ख/0.0800, 1151कमि/0.0022, 917/0.0200 हे० कुल गाटा 5 रकबा 0.3790 हे० पर मंदिर/देव स्थान दर्ज किया जाता है तथा आ.न.916/0.0100 हे०, 1151कमि/0.0378 हे० व 1148क/0.0100 हे० कुल गाटा 3 रकबा 0.0578 हे० रास्ता खाते में अंकित कर संशोधन करते हुए कागजात माल दुरुस्त किया जाये। कोर्ट ने यह आदेश दिया कि 14 फरवरी को नायब तहसीलदार राजस्व निरीक्षक व हल्का लेखपाल के साथ आवश्यक पुलिस बल को लेकर मौके पर जाकर कब्रिस्तान की भूमि चिन्हित करते हुए पत्थरगढ़ी की कार्रवाई सुनिश्चित करें। अदालत के इस निर्णय से वर्षों पुरानी विवाद का पटाक्षेप हो गया। जिसका बुद्धिजीवियों ने खुलेमन से सराहना की।