योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि हम सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधा देंगे ताकि कोई भी मरीज हमारे अस्पताल से वापस ना जा सके । शायद इसी से प्रेरित होकर चोपन हॉस्पिटल प्रशासन ने महिला डॉक्टर न होने के वावजूद बाहर से डॉक्टर बुलाकर गर्भवती महिला का ऑपरेशन करा दिया । थोड़ी देर बाद जब जच्चा-बच्चा दोनों की हालत बिगड़ी तो आनन-फानन में मरीज को रेफर कर दिया गया लेकिन बनारस जाते समय रास्ते में दोनों की मौत हो गईं । घटना के बाद मृतिका के पति ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया । मृतिका के पति का कहना है कि उसे शुरू से ही गुमराह किया गया और कुछ नहीं बताया गया ।
हंगामे की जानकारी पुलिस को हुई तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई । पहले तो पीड़ित परिवार को लगा कि अब उसके साथ न्याय होगा । मगर पुलिस का असली चेहरा जब सामने आया तो परिजनों की जमीन खिसक गई । परिजन पोस्टमार्टम कराने की बात करते रहे लेकिन चोपन पुलिस पोस्टमार्टम न कराकर समझाने में जुटा रहा और आखिरकार दाहसंस्कार करने की सलाह देकर घर भेज दिया ।
हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले ही दिन सीएमओ ने जांच के आदेश दे दिये । लेकिन जांच अधिकारी को अस्पताल की कोई कमी नजर नहीं आई । लेकिन जांच अधिकारी यह जरूर मानते हैं कि पोस्टमार्टम कराना चाहिए था ।
मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर उपलब्धि गिनाने सोनभद्र पहुंचे मंडल प्रभारी व कैबिनेट मंत्री राकेश सचान का कहना हैं कि जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी ।
बहरहाल जिंदगी और मौत भले ही ऊपर वाले के हाथों में हो लेकिन मौत के बाद पोस्टमार्टम होगा कि नहीं यह दावा कोई नहीं कर सकता । क्योंकि पिछले दो संदिग्ध मौत के मामले में भी प्रशासन ने पोस्टमार्टम नहीं कराया, जिसकी मजिस्ट्रीयल जांच चल रही है।
ऐसे में एक और संदिग्ध मौत के मामले में पोस्टमार्टम न कराना यह साफ़ कर दिया है कि सोनभद्र में पोस्टमार्टम नियमों से नहीं बल्कि हाकिमों के मूड पर निर्भर करता है ।
अब देखने वाली बात यह होगी कि चोपन वाले मामले में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होती है या फिर यह मामला भी मजिस्ट्रियल जांच के लिए लिखा जाएगा ।