डॉक्टर्स-डे विशेष : जिंदा है सेवाभाव
01 जुलाई 2019
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
– पेशे में बढ़ती व्यवसायिकता पर डॉक्टर चिंतित
सोनभद्र । चिकित्सा सेवा भाव और विश्वास का पेशा है लेकिन वर्तमान समय में डॉक्टरों में धन कमाने की होड़ और मरीजों की बढ़ती अपेक्षाओं ने डॉक्टर व मरीज के बीच दूरी बढ़ा दी है। नतीजतन इस पेशे से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है। अस्पताल में तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं बढ़ रही हैं। डॉक्टर प्रोडक्ट बन गया है, जिससे लोगों की उम्मीदें बढ़ गयी हैं। परिजन पैसा खर्च करते हैं, तो डॉक्टर से उम्मीद करते हैं कि वह हर हाल में मरीज को ठीक करें। वर्तमान में डॉक्टरी ही एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं। इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों पर है। डॉक्टर्स डे स्वयं डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह उन्हें अपने चिकित्सकीय प्रैक्टिस को पुनर्जीवित करने का अवसर देता है।
डॉक्टर अपने पेशे से चिंतित :
आजकल व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में शामिल हो चुके चिकित्सकों को भी अब अपने पेशे को लेकर चिंता सताने लगी है। हालाँकि इस पेशे में बढ़ती व्यवसायिकता से सीनियर डॉक्टर काफी आहत हैं लेकिन कुछ ऐसे डॉक्टर भी है जो अभी भी डॉक्टर पेशे के रूप में सेवाभाव जिंदा है। उन्हें फिर पुराने समय के लौटने की उम्मीद है।
सीएमओ डॉo एस0पी0सिंह के अनुसार बीमारी का कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव है। उन्होंने कहा कि बीमारी के इलाज से बेहतर उसका बचाव करना है। इसके लिए सभी ब्लड शुगर व उच्च रक्तचाप की जाँच अनिर्वाय रूप से करानी चाहिए।
जनरल फिजिशियन डॉo सर्वजीत सिंह का कहना है कि पुराने दिनों में हर फील्ड के लोग रुपए कमाने की अंधी दौड़ में शामिल होते थे, लेकिन डॉक्टरी पेशा इससे अछूता था। इसलिए डॉक्टरों को काफी सम्मान मिलता था। वर्तमान में स्थिति कुछ और ही है। सिस्टम में परेशानी की वजह से डॉक्टरों को मरीजों की सेवा करने का मौका नहीं मिल पा रहा है और व्यावसायिक व्यक्ति आसानी से हॉस्पिटल संचालित कर लेता है तो इससे हमें बचने की जरूरत है।
जनरल फिजिशियन डॉo गणेश प्रसाद के अनुसार डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। उन्होंने कहा कि युवा डॉक्टरों को डॉo विधानचंद्र राय की तरह जवाबदारी पूरी कर डॉक्टरी पेशे को बदनाम होने से बचाने के लिए पहल करनी होगी। इसके अलावा शासकीय सेवा से जुड़े डॉक्टर अभी भी सीमित संसाधनों के बाद भी अपने कर्तव्य को ईमानदारी के साथ पूरा कर रहे हैं।
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ0 आरoडीo चतुर्वेदी का कहना है कि यह दिन यह विचार करने के लिए है कि डॉक्टर हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्तमान में डॉक्टर पुराने सम्मान को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं। डॉक्टरों को अपनी जवाबदारियों का पालन ईमानदारी से करना सीखना होगा। डॉक्टरों की एक छोटी-सी भूल भी रोगी की जान ले सकती है। डॉक्टर भगवान का रूप कहा जाता है इसलिए उसकी जिम्मेदारियाँ भी ज्यादा हो जाती हैं।
जिला अस्पताल में कार्यरत दंत रोग चिकित्सक डॉo दमनजीत कौर का कहना है कि मुँह से ही सभी बीमारियाँ होती हैं। इसलिए मुँह की साफ-सफाई रखें, संयमित खान-पान रखें। जिससे अनेक रोगों से बचा जा सकता है।
जनता के विश्वास की डोर है डॉक्टर :
सारे डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है, जिसकी वे कसम भी खाते हैं। इसके बाद कुछ लोग इस विचार से पथभ्रमित होकर अनैतिकता की राह पर चल पड़ते हैं। डॉक्टर्स डे के दिन डॉक्टरों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंतर्मन में झाँके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें और चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा न बनाकर मानवीय सेवा का पेशा बनाएँ, तभी हमारा यह डॉक्टर्स डे मनाना सही साबित होगा।